जानिये कैसे महकाल हरेंगे आपके काल को …
कालों के काल महाकाल शिव शंकर की महिमा से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं हैं. कहते हैं कि देवों के देव महादेव को प्रसन्न करना बहुत आसान है. इसीलिए इन्हें भोलेनाथ कहा जाता है इस स्तुति का पठन करने से आपकी अकाल मृत्यु को महाकाल हर लेंगे
इस शिव स्तुति से करें प्रभु के हर रूप का ध्यान…
जय शिवशंकर, जय गंगाधर, करूणाकर करतार हरे।
जय कैलाशी, जय अविनाशी, सुखराशी सुखसार हरे।
जय शशिशेखर, जय डमरूधर, जय जय प्रेमागार हरे।
जय त्रिपुरारी, जय मदहारी, नित्य अनन्त अपार हरे।
निर्गुण जय जय सगुण अनामय निराकार साकार हरे।
पारवती पति हर-हर शम्भो पाहि-पाहि दातार हरे।।1।।
जय रामेश्वर, जय नागेश्वर, वैद्यनाथ, केदार हरे।
मल्लिकार्जुन, सोमनाथ, जय महाकार, ओंकार हरे।
जय त्रयम्बकेश्वर, जय भुवनेश्वर, भीमेश्वर, जगतार हरे।
काशीपति श्री विश्वनाथ जय मंगलमय अधहार हरे।
नीलकंठ, जय भूतनाथ, जय मृतुंजय अविकार हरे।
पारवती पति हर-हर शम्भो पाहि-पाहि दातार हरे।।2।।
भोलानाथ कृपालु दयामय अवढर दानी शिवयोगी।
निमिष मात्र में देते है नवनिधि मनमानी शिवयोगी।
सरल हृदय अति करूणासागर अकथ कहानी शिवयोगी।
भक्तों पर सर्वस्व लुटाकर बने मसानी शिवयोगी।
स्वयं अकिंचन जन मन रंजन पर शिव परम उदार हरे।
पारवती पति हर-हर शम्भो पाहि-पाहि दातार हरे।।3।।
आशुतोष इस मोहमयी निद्रा मुझे जगा देना।
विषय वेदना से विषयों की मायाधीश छुड़ा देना।
रूप सुधा की एक बूद से जीवन मुक्त बना देना।
दिव्य ज्ञान भण्डार युगल चरणों की लगन लगा देना।
एक बार इस मन मन्दिर में कीजे पद संचार हरे।
पारवती पति हर-हर शम्भो पाहि-पाहि दातार हरे।।4।।
दानी हो दो भिक्षा में अपनी अनपायनी भक्ति विभो।
शक्तिमान हो दो अविचल निष्काम प्रेम की शक्ति प्रभो।
त्यागी हो दो इस असार संसारपूर्ण वैराग्य प्रभो।
परम पिता हो दो तुम अपने चरणों में अनुराण प्रभो।
स्वामी हो निज सेवक की सुन लीजे करूण पुकार हरे।
पारवती पति हर-हर शम्भो पाहि-पाहि दातार हरे।।5।।
तुम बिन व्यकुल हूं प्राणेश्वर आ जाओ भगवन्त हरे।
चरण कमल की बॉह गही है उमा रमण प्रियकांत हरें।
विरह व्यथित हूं दीन दुखी हूं दीन दयाल अनन्त हरे।
आओ तुम मेरे हो जाओ आ जाओ श्रीमंत हरे।
मेरी इस दयनीय दशा पर कुछ तो करो विचार हरे।
पारवती पति हर-हर शम्भो पाहि-पाहि दातार हरे।।6।।
जय महेश जय जय भवेश जय आदि देव महादेव विभो।
किस मुख से हे गुणातीत प्रभुत तव अपार गुण वर्णन हो।
जय भव तारक दारक हारक पातक तारक शिव शम्भो।
दीनन दुख हर सर्व सुखाकर प्रेम सुधाकर की जय हो।
पार लगा दो भवसागर से बनकर करूणा धार हरे।
पारवती पति हर-हर शम्भो पाहि-पाहि दातार हरे।।7।।
जय मनभावन जय अतिपावन शोक नसावन शिवशम्भो।
विपति विदारण अधम अधारण सत्य सनातन शिवशम्भो।
वाहन वृहस्पति नाग विभूषण धवन भस्म तन शिवशम्भो।
मदन करन कर पाप हरन धन चरण मनन धन शिवशम्भो।
विश्वन विश्वरूप प्रलयंकर जग के मूलाधार हरे।
पारवती पति हर हर शम्भो पाहि-पाहि दातार हरे।।8।।
Related Posts
-
इस 400 साल पुराने मंदिर में देर रात को मूर्तियां करती हैं एक दुसरे से बातें, जानिए क्या है इसका रहस्य!
4 Comments | Apr 19, 2017 -
किसी भी कुदृष्टि से बचने के लिए सुबह उठते ही बोले यह मंत्र, बन जायेगा आपके शरीर पर अदृश्य सुरक्षा-कवच
1 Comment | May 29, 2017 -
4 जुलाई देवशयनी एकादशी को इस कथा को सुनने में बाद में लगाये इस पौधे का बीज, धन की होने लगेगी बरसात !!
2 Comments | Jul 4, 2017 -
आज जानिये यह रहस्य !! शव को जलाने के बाद उसके सर में डंडा कियो मारा जाता है !!
140 Comments | May 31, 2017