इन स्थानों पर होती है रावण की पूजा, जाने क्यों?
आश्विन मास की नवरात्रि के आखरी दिन दशहरा पर्व मनाया जाता है। दशहरा पर्व मनाने का कारण है की इस दिन भगवान राम ने रावण का वध कर विजय प्राप्त की थी साथ हि दुर्गा देवी ने नवरात्रि एवं दस दिन के युद्ध के बाद महिशापुर पर विजय प्राप्त की थी इसलिए इस दिन को विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है । इस दिन पूरे देश मे भगवान राम की पूजा की जाती है तथा प्रतीक के रूप में रावण का जलाया जाता है । लेकिन देश में कई ऐसे स्थान है जहां पर राम की नहीं बल्कि रावण की पूजा की जाती है । आईये आपको इन स्थानी के बारे में बताते है ।
- कांगड़ा , हिमाचल प्रदेश :-
कांगड़ा जिले में रावण ने भगवान भोलेनाथ की तपस्या की थी । भगवान शिव ने रावण की घोर तपस्या को देखकर उन्हें मोक्ष का वरदान दिया था । इसी कारण से हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में रावण की पूजा की जाती है । - मंदसौर , मध्य प्रदेश :-
मध्य प्रदेश के मंदसौर में रावण का ससुराल था । मंदसौर का नाम पहले दशपुर था। रावण की पत्नी मंदोदरी का मायका होने के कारण से यहां रावण का दहन नहीं पूजा की जाती है। - बीसरख , उत्तर प्रदेश :-
बीसरख नामक उत्तर प्रदेश का एक गांव है जहां रावण का ननिहाल था । बीसरख गाँव के नाम का कारण है रावण के पिता जिनका नाम विशेश्वरा। - अमरावती ,महाराष्ट्र :-
गढचिरोली , अमरावती में रावण की पूजा की जाती है। आदिवासी समुदाय रावण का वध नही करते । वे लोग रावण को देवता मानते है ।
5.जसवंत नगर , उत्तर प्रदेश :-
उत्तर प्रदेश के जसवंत नगर में विजयादशमी के दिन रावण की पूजा की जाती है । उसके पश्चात् रावण के टुकड़े कर दिए जाते है फिर तेरहवे के दिन रावण की तेरहवी भी मनाई जाती है ।
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