अद्भुत होगा आपके लिए जानना महाभारत में 18 संख्या का महत्व..!!!
भारतीय पौराणिक कथा (Indian Mythological Story)
महाभारत में 18 संख्या का महत्व-महाभारत में लिखा हुआ है कि यहां जो कुछ भी लिखा है वो आपको दुनिया की किसी भी किताब में लिखा हुआ मिल जाएगा,
-लेकिन यहां जो कुछ नहीं लिखा है वह कहीं भी नहीं मिलेगा,ऐसा कुछ भी नहीं है, जो महाभारत में नहीं है।
-महाभारत में संपूर्ण धर्म, दर्शन, समाज, संस्कृति, युद्ध और ज्ञान-विज्ञान की बातें शामिल हैं।
-दुनिया के प्रथम विश्वयुद्ध महाभारत में कई घटना, संबंध और ज्ञान-विज्ञान के रहस्य छिपे हुए हैं।
– महाभारत युद्ध के कई ऐसे रहस्य भी हैं जिन्हें अभी तक सुलझाया नहीं गया है।
-उन्हीं रहस्यों में से एक आपके लिए खोज लाए हैं।
-कहते हैं कि महाभारत युद्ध में 18 संख्या का बहुत महत्व है।
-जब भी आप कभी महाभारत कथा पढ़ेंगे, तो पाएंगे महाभारत में 18 संख्या का बड़ा महत्व है ।
-18 की संख्या में ईश्वर का वास होता ९ ईश्वर का अंक होता है,यहाँ १ मानव के रूप में है और 8 सृष्टि की रचना और उसका असीमित होना दर्शाता है।
महाभारत में 18 संख्या का महत्व
-महाभारत की कई घटनाएँ 18 संख्या से सम्बंधित है ।
-आइये पढ़ते हैं उनमें से कुछ घटनाएं :
- महाभारत का युद्ध कुल 18 दिनों तक हुआ था ।
- कौरवों (11 अक्षोहिनी) और पांडवों (7 अक्षोहिनी) की सेना भी कुल 18 अक्षोहिनी थी ।
- महाभारत में कुल 18 पर्व हैं
-आदि पर्व, सभा पर्व, वन पर्व, विराट वरव, उद्योग पर्व, भीष्म पर्व, द्रोण पर्व।
-अश्वमेधिक पर्व, महाप्रस्थानिक पर्व, सौप्तिक पर्व, स्त्री पर्व, शांति पर्व, अनुशाशन पर्व, मौसल पर्व।
-कर्ण पर्व, शल्य पर्व, स्वर्गारोहण पर्व तथा आश्रम्वासिक पर्व ।
- गीता उपदेश में भी कुल 18 अध्याय हैं
– अर्जुनविषादयोग, सांख्ययोग, कर्मयोग, ज्ञानकर्मसंन्यासयोग, कर्मसंन्यासयोग, आत्मसंयमयोग, ज्ञानविज्ञानयोग
-अक्षरब्रह्मयोग, राजविद्याराजगुह्ययोग, विभूतियोग, विश्वरूपदर्शनयोग, भक्तियोग, क्षेत्र, क्षेत्रज्ञविभागयोग।
-गुणत्रयविभागयोग, पुरुषोत्तमयोग, दैवासुरसम्पद्विभागयोग, श्रद्धात्रयविभागयोग और मोक्षसंन्यासयोग।
- इस युद्ध के प्रमुख सूत्रधार भी 18 हैं (ध्रितराष्ट्र, दुर्योधन, दुह्शासन, कर्ण, शकुनी, भीष्म, द्रोण, कृपाचार्य, अश्वस्थामा, कृतवर्मा, श्रीकृष्ण, युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल, सहदेव, द्रौपदी एवं विदुर) ।
- युद्ध के पश्चात् कौरवों के तरफ से 3 और पांडवों के तरफ से 15 यानि कुल 18 योद्धा ही जीवित बचे ।
- महाभारत को पुराणों के जितना सम्मान दिया जाता है और पुराणों की संख्या भी 18 है ।
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