2000 वर्ष पुराना माता का मंदिर जिनकी शक्ति को स्वयं महाकाल ने किया था प्रणाम….
आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जो जितना पुराना है उतना ही चमत्कारी भी है। जी हाँ देवी मां का यह मंदिर करीबन 2000 साल पुराना बताया जाता है।
माँ बम्लेश्वरी देवी का मंदिर छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से करीब 75 किलोमीटर दूर राजनांदगांव जिले में स्थित है। प्राकृतिक रूप से चारों ओर से पहाड़ों से घिरे डोंगरगढ़ की सबसे ऊंची पहाड़ी पर मां का मंदिर स्थापित है।
वैसे इस पहाड़ी पर माँ बम्लेश्वरी देवी के दो मंदिर हैं। बड़ी माता बम्लेश्वरी मंदिर और छोटी माता बम्लेश्वरी मंदिर, एक मंदिर पहाड़ी के नीचे स्थित है और दूसरा पहाड़ी के ऊपर। मां के इस दरबार में आनेवाले भक्त मां से जो भी मन्नत मांगते हैं, मां उसे पूरा करती हैं।
इस मंदिर के निर्माण को लेकर यहां कई किवदंतियां है। एक मान्यता के अनुसार राजा कामसेन और विक्रमादित्य के बीच युद्ध हो रहा था तब विक्रमादित्य के आव्हान पर उनके कुल देवता उज्जैन के महाकाल कामसेन की सेना का विनाश करने लगे।
इस विनाश को देखकर कामसेन ने अपनी कुलदेवी मां बम्लेश्वरी का आव्हान किया तो वो भी युद्ध के मैदान में पहुंचीं। युद्ध के मैदान में माँ बम्लेश्वरी देवी को देखकर महाकाल ने माता की शक्ति को प्रणाम किया। जिसके बाद दोनों देशों के बीच समझौता हुआ और तबसे माता बम्लेश्वरी पहाड़ी पर विराजमान हो गईं।
मान्यता तो यह भी है कि कामाख्या नगरी जब पूरी तरह से तहस नहस हो गई थी तब मां की प्रतिमा इस पहाड़ी पर स्वयं प्रकट हुई थी। जिसके बाद यहां माता के मंदिर की स्थापना की गई।
माँ बम्लेश्वरी के इस मंदिर को लेकर एक और कहानी ये भी है की लगभग 2500 साल पहले कामाख्या नगरी के राजा वीरसेन थे उनके कोई संतान नहीं थी जब शिव जी के और माता के आशीर्वाद से उन्हें पुत्र हुआ तब उन्होंने ये मंदिर बनवाया था ।
माता के इस दरबार में जो भी आता है वो यहां से खाली हाथ वापस नहीं लौटता है। इसलिए यहां हजार से ज्यादा सीढ़ियां चढ़कर भक्त माता के दर्शन के लिए पहुंचते हैं। हर साल इस मंदिर में नवरात्री पर विशाल मेला लगता है जिसमे हजारों की तादात में माता के दर्शन के लिए भक्तजन आते है।
॥ जय माँ बम्लेश्वरी देवी ॥
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