अगर महाकाल बाबा के भक्त है तो महाकाल ज्योतिर्लिंग की ये विशेषताए ज़रूर पढ़े…!!!
कहते हैं शिव के अनेक रूप हैं। शिव की आराधना करने से आपकी हर मनोकामना पूर्ण होती है। श्रावण मास में तो शिव की आरधना अति फलदायी होती है। भारत देश में 12 प्रमुख ज्योतिर्लिंग है, जिनमें से महाकालेश्वर एक ज्योतिर्लिंग है |
आज हम आपको कराते हैं सैर भारत के एक ऐसे नगर की जहाँ का कण-कण भक्ति के रस से श्रृंगारित है, जहाँ हर सुबह गली-चौराहों पर हर हर महादेव के जयकारे सुनाई पड़ते हैं जहाँ हर छोटे-बड़े गली-मुहल्लों व घरों में मंदिर ही मंदिर हैं। भगवान महाकालेश्वर के इस नगर में एक-दो नहीं बल्कि 33 करोड़ देवता छोटे-बड़े मंदिरों में विराजते हैं।
भारत के हृदयस्थल मध्यप्रदेश के उज्जैन में पुण्य सलिला शिप्रा के तट के निकट भगवान शिव ‘महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग’ के रूप में विराजमान हैं। महाराजा विक्रमादित्य के न्याय की नगरी उज्जयिनी में भगवान महाकाल की असीम कृपा है
महाकाल की महिमा का वर्णन इस प्रकार से भी किया गया है –
आकाशे तारकं लिंगं पाताले हाटकेश्वरम् ।
भूलोके च महाकालो लिंड्गत्रय नमोस्तु ते ॥
इसका तात्पर्य यह है कि आकाश में तारक लिंग, पाताल में हाटकेश्वर लिंग तथा पृथ्वी पर महाकालेश्वर ही मान्य शिवलिंग है।
महाकालेश्वर मंदिर :
महाकालेश्वर मंदिर एक विशाल परिसर में स्थित है, जहाँ कई देवी-देवताओं के छोटे-बड़े मंदिर हैं। मंदिर में प्रवेश करने के लिए मुख्य द्वार से गर्भगृह तक की दूरी तय करनी पड़ती है। इस मार्ग में कई सारे पक्के चढ़ाव उतरने पड़ते हैं परंतु चौड़ा मार्ग होने से यात्रियों को दर्शनार्थियों को अधिक परेशानियाँ नहीं आती है। गर्भगृह में प्रवेश करने के लिए पक्की सीढ़ियाँ बनी हैं।
मंदिर परिसर में एक प्राचीन कुंड है। वर्तमान में जो महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग है वह तीन खंडों में विभाजित है। निचले खंड में महाकालेश्वर, मध्य के खंड में ओंकारेश्वर तथा ऊपरी खंड में श्री नागचंद्रेश्वर मंदिर स्थित है। गर्भगृह में विराजित भगवान महाकालेश्वर का विशाल दक्षिणमुखी शिवलिंग है, ज्योतिष में जिसका विशेष महत्व है। इसी के साथ ही गर्भगृह में माता पार्वती, भगवान गणेश व कार्तिकेय की मोहक प्रतिमाएँ हैं। गर्भगृह में नंदी दीप स्थापित है, जो सदैव प्रज्ज्वलित होता रहता है। गर्भगृह के सामने विशाल कक्ष में नंदी की प्रतिमा विराजित है। इस कक्ष में बैठकर हजारों श्रद्धालु शिव आराधना का पुण्य लाभ लेते हैं।
महाकालेश्वर मंदिर के मुख्य आकर्षणों में भगवान महाकाल की भस्म आरती, नागचंद्रेश्वर मंदिर, भगवान महाकाल की शाही सवारी आदि है।
प्रतिदिन अलसुबह होने वाली भगवान की भस्म आरती के लिए कई महीनों पहले से ही बुकिंग होती है। इस आरती की खासियत यह है कि इसमें ताजा मुर्दे की भस्म से भगवान महाकाल का श्रृंगार किया जाता है
लेकिन आजकल इसका स्थान गोबर के कंडे की भस्म का उपयोग किया जाता है परंतु आज भी यही कहा जाता है कि यदि आपने महाकाल की भस्म आरती नहीं देखी तो आपका महाकालेश्वर दर्शन अधूरा है।
Related Posts
-
इस मंदिर में शिवलिंग पर चमत्कारी रूप से खुद ही चढ़ जाते है फूल और बेलपत्र !!!
4 Comments | Mar 20, 2017 -
आखिर कैसे मिली भगवान शिव को तीसरी आँख ? जानिए इस गहरे रहस्य के बारे में :
No Comments | Aug 7, 2020 -
कब करें काल भैरव की पूजा जिससे मिले आपको मनचाहा फल …….
10 Comments | Mar 24, 2017 -
आखिर क्यों की जाती है महाकाल बाबा की भस्म आरती..!!!जरूर पढ़े…!!!
7 Comments | Apr 2, 2017