शिव की क्रोधाग्नि का विग्रह रूप कहे जाने वाले कालभैरव का अवतरण मार्गशीर्ष कृष्णपक्ष की अष्टमी को हुआ। इनकी पूजा से घर में नकारत्मक ऊर्जा, जादू-टोने, भूत-प्रेत आदि
श्री स्थिरमन गणेश एक अति प्राचीन गणपति मंदिर जो कि उज्जैन में स्थित है । इस मंदिर एवं गणपतिकी विशे षता यह है कि वे न तो दूर्वा और न ही मोदक और लडडू से प्रसन्न होते हैं उनको गुड़ की एक डली सेप्रसन्न कि या जाता है । गुड़ के साथ नारियल अर्पित करने से गणपति प्रसन्न हो जाते हैं और भक्तों की झोलीभर देते हैं, ह र लेते हैं भक्तों का हर दुःख और साथ ही मिलती है मन को बहुत शान्ति । इस मंदिर में सुबहगणेश जी का सिंदू री श्रंगार कर चांदी के वक्र से सजाया जाता है । यहां सुबह – शाम आरती होती है जिसमें शंखों एवं घंटों की ध्वनि मन को शांत कर देती है । इतिहास में वर्णनमिलता है कि श्री राम जब सीता और लक्ष्मण के साथ तरपन के लिए उज्जैन आये थे तो उनका मन बहुतअस्थिर हो गया तथा भगवान श्री राम ने श्रीस्थिर गणेश की स्थापना कर पूजा की तब श्री राम का मन स्थिर हुआ। कहा जाता है कि राजा विक्रमादित्य का जब मन अस्थिर हुआ तो गलत फैसले होने पर वे श्रीस्थिर गणेशमंदिर आकर उन्होंने गणपति की आराधना की तब कहीं उनका मन स्थिर हुआ ऐसी मान्यता है कि मंदिर की पिछली दीवार पर उल्टा स्वास्तिक बना कर मान्यता मानने से मन की कामनापू र्ण होती है । मान्यता पूरी होने पर चढ़ाना होगा गुड़ एवं नारियल । मंदिर परिसर में एक बड़ा शमी का पेड़ है जिसकी पूजा आपकी सभी इच्छाओं को पूरा करती है । उज्जैन आयें तो श्रीस्थिरमन गणेश मंदिर जरूर दर्शनकरें ।