कैसे हुआ कृष्ण प्रिय राधारानी का जन्म; पढ़ें उनके जन्म से जुड़ी यह रोचक कथा…!!!
भारतीय पौराणिक कथा (Indian Mythological Story)
–राधारानी(Radha) और श्री कृष्ण(Krishna) का प्रेम इतना गहरा था।
-आज भी सब राधा (Radha) जी को श्री कृष्ण (Krishna)की आत्मा कहकर पुकारते हैं।
-राधा(Radha) जी का जन्म भाद्रपद महीने की शुक्लपक्ष की अष्टमी को हुआ था।
-जिस दिन राधा(Radha) जी का जन्म हुआ, उस दिन को राधाष्टमी के नाम से जाना जाता है।
-राधा श्रीकृष्ण(Krishna) प्रिया तो थीं ही इसके साथ ही उन्हें देवी कीर्ति (Kirti)और वृषभानु(Vrashbhanu) की पुत्री के रुप में भी जाना जाता है।
-आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि राधा(Radha) का जन्म किसी के गर्भ से नहीं हुआ था वे स्वयं प्रकट हुईं थी।
-इसके बारे में ब्रह्मवैवर्त पुराण में विस्तार से बताया गया है।
-आइए आपको बताते हैं राधारानी(Radha) के जन्म से जुड़ी कथा के बारे में।
राधारानी का जन्म
-ब्रह्मवैवर्त पुराण में देवी राधा(Radha) जन्म से जुड़ी एक अद्भुत कथा का उल्लेख मिलता है।
-इस पुराण में बताया गया है कि देवी राधा(Radha) भगवान श्री कृष्ण(Krishna) के साथ गोलोक में निवास करती हैं।
-एक बार देवी राधा(Radha) गोलोक में नहीं थीं तब श्री कृष्ण(Krishna) अपनी एक अन्य पत्नी विराजा के साथ विहार कर रहे थे।
-राधा(Radha) को इसकी जैसे की सूचना मिली वह गोलोक लौट आई इन्होंने विराजा को श्री कृष्ण(Krishna) के संग विहार करते हुए देखा तो कृष्ण(Krishna) को भला बुरा कहने लगी। राधा(Radha) को क्रोधित देखकर विराजा नदी बनकर वहां से चली गई।
-कृष्ण को बुरा कहने पर श्री कृष्ण(Krishna) के मित्र सुदामा(Sudama) को क्रोध आ गया और उन्होंने देवी राधा(Radha) का अपमान कर दिया।
-इससे देवी राधा(Radha) और क्रोधित हो गई इन्होंने सुदामा को राक्षस कुल में जन्म लेने का श्राप दे दिया।
–सुदामा(Sudama) ने भी आवेश में आकर देवी राधा(Radha) को पृथ्वी पर मनुष्य रुप में जन्म लेने का श्राप दे दिया।
-इस श्राप(Shrap) के कारण सुदामा(Sudama) शंखचूड़(Shankchud) नामक असुर बना।
-देवी राधा(Radha) ने कीर्ति और वृषभानु जी की पुत्री के रुप में जन्म लिया।
धार्मिक कथा ( Religious Story)
-लेकिन राधा(Radha) का जन्म देवी कीर्ति के गर्भ से नहीं हुआ था।
-संसार की दृष्टि में राधा(Radha) की माता कीर्ति गर्भवती हुई लेकिन उनके गर्भ में राधा ने प्रवेश नहीं किया।
-कीर्ति ने अपने गर्भ में वायु(Vayu) को धारण कर रखा था ।
-योगमाया(Yogmaya) के सहयोग से कीर्ति(Kirti) ने वायु(Vayu) को जन्म दिया ।
-वायु के जन्म के साथ ही वहां राधा(Radha) कन्या रुप में प्रकट हो गईं।
-इसलिए यह माना जाता है कि देवी राधा(Radha) अयोनिजा थी,किसी के गर्भ से उनका जन्म नहीं हुआ था।
ब्रह्मपुराण में बताया गया है भगवान श्री कृष्ण(Krishna) ने राधा(Radha) से कहा कि पृथ्वी पर तुम्हें गोकुल(Gokul) में देवी कीर्ति और वृषभानु की पुत्री के रुप में जन्म लेना होगा। वहां तुम्हारा विवाह रायाण नामक एक वैश्य से होगा और सांसारिक तौर पर तुम रायाण की पत्नी कहलाओगी। रायाण मेरा ही अंश होगा।
और इस तरह हुआ राधा रानी का संसार में जन्म ।
॥ प्रेम से बोलो जय श्री राधे ॥
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